हिंदू कैलेंडर इस दिन को भगवान कृष्ण की जन्मतिथि के रूप में नामित करता है, जो भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे। ऐसे में जिस दिन कृष्ण का जन्म होना था, स्मार्त यानी गृहस्थ लोगों ने व्रत रखा और भगवान से ही भगवान की रक्षा की कामना की। इसके बाद मध्य रात्रि में जन्म भगवान ने जन्म ले लिया, तभी उन्होंने भोजन किया। इसलिए स्मार्त लोग कृष्ण जन्माष्टमी उसी दिन मनाते हैं, जिस दिन रात्रि में अष्टमी होती है। अष्टमी तिथि 6 सितंबर को 03:37 बजे से 7 सितंबर को ओ4:14 बजे तक रहेगी, इसलिए ये दोनों दिन उत्सव के लिए समर्पित होंगे।
कृष्ण जन्माष्टमी, भगवान कृष्ण के जन्म की स्मृति में मनाया जाने वाला हर्षोल्लास का त्यौहार, मथुरा और वृन्दावन के पवित्र शहरों में विभिन्न स्थानों पर इसका प्रदर्शन करते हैं। भक्त जनमाष्टमी की पूर्व संध्या पर कृष्ण मंदिरों में आते हैं, विशेषकर वृन्दावन में बांके बिहारी मंदिर और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में, जहाँ माना जाता है कि उनका जन्म हुआ था। मंदिरों को मनमोहक फूलों की सजावट और रोशनी से खूबसूरती से सजाया गया है।
- जन्माष्टमी के पर्व पर होने वाली चहल-पहल पूरे भारत में देखी जाती है इसके साथ-साथ विदेशों में रहने वाले भारतीय भी वहां जन्माष्टमी के पर्व को धूमधाम से मनाते हैं।
@कृष्ण जन्माष्टमी2023 , @श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2023