UP News : आयोध्या में भगवान श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मंदिर में हुए एक चमत्कार ने विश्व की धारोहर में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। कहा जाता है कि प्राण प्रतिष्ठा के साथ प्रतिमाएं प्राणवान हो उठती हैं, प्रतीत होता है कि भगवान श्री राम इस विश्वास पर खरे उतरे, आयोध्या के मंदिर में प्रवेश करते ही रामलला का सजीव रूप प्रतीत होने लगा।
आपको बता दे कि इस पूरे चमत्कार की पुष्टि अयोध्या के श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए रामलला की प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज ने खुद की है। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद जब मैं गर्भगृह में था, कुछ देर मूर्ति के सामने बैठा था। मुझे लगा कि मैंने जो मूर्ति बनाई थी, वो ये नहीं है, मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होते ही भगवान का स्वरूप बिल्कुल बदल गया। गर्भगृह के बाहर तक रामलला की मूर्ति की छवि अलग थी। जैसे ही मूर्ति को गर्भगृह में प्रवेश कराया गया, उसकी आभा ही बदल गई.. मैंने भी महसूस किया.. मैंने गर्भगृह में अपने साथ मौजूद लोगों को भी इसके बारे में बताया कि वह जो मूर्ति भगवान श्रीराम की बनाई थी वह प्रतिमा गर्भगृह के अंदर जाकर के भाव बदल गए, ' आंखें बोलने लगी '।
रामलला की प्रतिमा से योगीराज के इस अनुभव की पुष्टि भी होती है। रामलला की जो मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा से पहले इंटरनेट व सोशल मीडिया पर प्रसारित हुई है, उस प्रतिमा में रामलाल की आंखें देखिए और जो प्रतिमा विग्रह के रूप में प्रतिष्ठित होकर सामने निकल कर आई है, उस प्रतिमा में आंखें देखिए। योगीराज ने जो प्रतिमा बनाई, वह निश्चित रूप से जीवंतता की पर्याय है। रामदिनेशाचार्य जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य जी का कहना है कि यह कोई नया विषय नहीं है। रामजन्मभूमि के रामलला, हनुमानगढ़ी के हनुमान जी, कनकभवन के कनकविहारी-विहारिणी और दोनों देवकाली में स्थापित देवी मां के विग्रह भी बोलते प्रतीत होते हैं।