REPORTED BY : अभिषेक यादव
EDITED BY : AVP NEWS 24
● अपराजिता का बचपन से ही योग में रहा गहरा रुचि
वही इस पर अपराजिता ने खुद को व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें बचपन से ही योग में गहरा रुचि था। उन्होंने बताया कि उनकी 12वीं तक की पढ़ाई गाजीपुर में हुई और फिर उन्हें नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फैशन टेक्नोलॉजी में चयन मिला। अब वह भुवनेश्वर में रहकर फैशन टेक्नोलॉजी की पढ़ाई कर रही हैं। उन्हें संस्था की ओर से अंतर्राष्ट्रीय योग बुक ऑफ रिकॉर्ड के बारे में बताया गया है।
● 1 घण्टा 5 मिनट का था जलपरी मुद्रा में योग करने का रिकॉर्ड
आपको बताते चले कि जब आगे की जानकारी अपराजिता ने इंटरनेट के माध्यम से ली तो उन्हें इस बात की जानकारी हुई कि जलपरी मुद्रा में योग करने का रिकॉर्ड 1 घंटा 5 मिनट है। जिसके बाद अपराजिता सिंह ने इसे एक चुनौती के तौर पर स्वीकार किया और वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़कर भारत का नाम रोशन किया है। अपराजिता सिंह ने बताया कि यह इवेंट 2023 के दिसंबर माह में हुआ था। लेकिन कुछ दिनों पहले गिनीज बुक ऑफ योगा रिकॉर्ड्स की ओर से उन्हें प्रमाण पत्र आदि भेजा गया।अपराजिता ने यह भी बताया कि सबसे कम समय में पीरियाडिक टेबल बनाना और सभी एलिमेंट्स का नाम लिखकर उसके कंठस्थ वाचन (याद कर सुनाना) की प्रतियोगिता में भी उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया है। इसका प्रमाण पत्र भी संबंधित संस्था की ओर से उन्हें जल्दी मिल जाएगा।
● 12 साल की उम्र में पीरियाडिक टेबल के सभी एलिमेंट्स के नाम बताने का रिकॉर्ड कायम कर चुकी है अपराजिता
बता दे कि इससे पहले के स्कूली दिनों में महज 12 साल की उम्र में अपराजिता सिंह ने 37 सेकंड में पीरियाडिक टेबल के सभी एलिमेंट्स के नाम बताने का रिकॉर्ड कायम किया है।अपराजित सिंह ने बातचीत में यह भी बताया कि एक छात्रा के तौर पर नए-नए चुनौतियों को स्वीकारना उन्हें रोमांचित करता है। बचपन से ही ड्राइंग और आर्ट क्राफ्ट में शौक होने के कारण उन्होंने फैशन टेक्नोलॉजी की पढ़ाई चुनी।
● अपराजिता सिंह के पिता ने क्या कहा, जानें
इस खुशी के माहौल पर अपराजिता सिंह के पिता सुजीत सिंह ने बेटी के विश्व रिकॉर्ड कायम करने कहा कि उन्हें अपनी बेटी अपराजिता पर गर्व है। वह सदैव से इस बात को मानते रहे हैं कि बच्चों को उनके रुचि के विषय को पढ़ने देना चाहिए। माता-पिता को बस अपनी भूमिका से सीमित रहना चाहिए और बच्चों को करियर के चुनाव में स्वतंत्रता देनी चाहिए। इससे उनकी मौलिक क्षमताएं उभरेंगी और वे बेहतर तरीके से सामने आ सकेंगे। वही विश्व रिकार्ड कायम करने पर उनके गांव में खुशी का माहौल है।