● पूर्वांचल के जनप्रिय नेता ओम प्रकाश 'बाबा' दुबे ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव को पत्र लिख प्राथमिक सदस्यता त्यागी
● सत्ता में रहते भ्रष्टाचार के आरोप में बाबू सिंह कुशवाहा को जेल भेजने वाली केन्द्र की कांग्रेस और राज्य की समाजवादी पार्टी द्वारा जन भावना एवं सैद्धांतिक राजनीति के विरुद्ध, जौनपुर से अपना संयुक्त उम्मीदवार बनाए जाने के विरोध में त्याग दी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता
जौनपुर। यूपी के जनपद जौनपुर के बदलापुर विधान सभा क्षेत्र से पूर्व विधायक ओम प्रकाश 'बाबा' दुबे ने समाजवादी पार्टी से अपनी प्राथमिक सदस्यता त्यागने की घोषणा की।
पूर्व विधायक ओम प्रकाश 'बाबा' दुबे ने कहा, "मैने राजनीतिक सिद्धांतों और शुचिता का उल्लंघन देखते हुए पार्टी से नाता तोड़ने का फैसला किया है। मैने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को पत्र लिखकर, अपने निर्णय की सूचना दे दी है।
उन्होंने आगे कहा, "मैंने जौनपुर से आपराधिक एवं भ्रष्टाचारी आचरण के बाबू सिंह कुशवाहा को बाँदा से लाकर समाजवादी पार्टी द्वारा इंडी गठबंधन का प्रत्याशी बनाए जाने की वजह से यह कदम उठाया है। अपने पत्र में मैंने बाबू सिंह कुशवाहा द्वारा चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे में स्वीकार किए गए आपराधिक मुकदमों का उल्लेख किया है।"
उन्होंने बताया, "बाबू सिंह कुशवाहा के ऊपर दर्जनों भ्रष्टाचार और आपराधिक मुक़दमे और उनकी जेल यात्रा केंद्र में कांग्रेस और राज्य की अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार के दौरान हुए थे। जमानत पर बाहर बाबू सिंह कुशवाहा को आज उन्हीं दोनों पार्टी द्वारा इंडी गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में भेजे जाने से जनपद में काफ़ी जन आक्रोश व्याप्त है।"
बाबा दुबे ने कहा कि "मेरे निजी और राजनीतिक सिद्धांतों के विपरीत होने के कारण, मैंने उपरोक्त पृष्ठभूमि एवं आचरण वाले किसी भी व्यक्ति का समर्थन या प्रचार ना ही पूर्व में कभी करना स्वीकार किया, ना ही वर्तमान में करना स्वीकार करूंगा।
अतएव, मैं समाजवादी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता त्याग रहा हूँ। मैने ऐसी ही परिस्थितियों में 2009 में बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार रहते, बसपा से नाता तोड़ दिया था और सपा का साथ देने का निर्णय लिया था।
बाबा दुबे ने बताया, "2012-2017 के दौरान विधायक रहते हुए मैने बदलापुर विधानसभा की पूरे प्रदेश में न्यूनतम अपराध दर और भ्रष्टाचार मुक्त वाले प्रगतिशील विधानसभा की पहचान दिलाई। मैं अपने 75000 से ज़्यादा सदस्यों वाले बाबा मित्र परिषद परिवार, क्षेत्र, समर्थकों और शुभचिंतकों के इच्छा अनुरूप निर्भीक, स्वच्छ और बेदाग़ जन राजनीति पूरी ताक़त के साथ आगे भी करता रहूंगा।"
समाजवादी पार्टी के मज़बूत स्तंभ माने जाने वाले नेता बाबा दुबे का जाना ऐसे समय में हुआ है जब पार्टी ने भ्रष्टाचार और अपराध में लिप्त बाबू सिंह कुशवाहा को जौनपुर से अपना उम्मीदवार बनाने के विवादास्पद फैसले पर जनता का आक्रोश झेलना पड़ रहा है। इस तरह के समझौतों के खिलाफ बाबा दुबे का सैद्धांतिक रुख जन सामान्य में सकारात्मक चर्चा और हर्ष का विषय बना है और उनकी लोकप्रियता में बढ़ोतरी निश्चित है।