UP CM : YOGI ADITYA NATH |
भाजपा सूत्रों के मुताबिक दिल्ली की बैठक में पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बनाए रखने के साथ यूपी में हुई कलह से मायूस पार्टी कार्यकर्ताओं की एकजुटता को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना गया। पार्टी हित में ही छिपा था हाई कमान का भी 'सपना'। इनमें प्रधान मन्त्री नरेंद्र मोदी की खत्म हुई लहर, गायब हुआ मोदी मैजिक और 56 इंच से घटकर 32 इंच पर रह गई इमेज़ को फ़िर बढ़ाने की चिंता के साथ शाह के 'पीएम इन वेटिंग' का सपना भी शामिल था। इसी के मदेनज़र मायावती का 13 साल पूर्व दिया गया फार्मूला कारगर माना गया। लोकसभा चुनाव में भाजपा की 2019 के मुकाबले यूपी में इस बार 50 फीसदी सीटों पर हुई पराजय में ठीकरा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के कन्धे पर रख दिया गया। टिकट बंटवारे में हुई गलती को बगैर स्वीकार किए हाई कमान ने होने वाले 10 सीटों पर विधान सभा उप चुनाव और मिशन 2027 का भी अधिकार योगी को दे दिया गया। उनपर लगे ठाकुरवाद समेत विभिन्न आरोपों को रोकने के साथ उन्हें नौकरशाही अपने तरीके से संचालित करने की बन्दिश से भी मुक्त किया गया। बैठक में बिहार के सीएम नीतीश कुमार के जातिगत जनगणना वाले पिछड़ा वर्ग के कार्ड और यूपी में इसी कार्ड पर अखिलेश यादव द्वारा की गई पीडीए की सोशल इंजीनियरिंग पर भी गम्भीरता से गौर किया गया।
संघ व भाजपा सूत्रों की मानें तो यूपी से योगी को 2022 से पूर्व, पहले कार्यकाल में ही झटके से हटाया जा सकता था, बाद में तमाम बयानबाज़ी और आरोपों से रायता इतना फैल गया कि उनके साथ संघ खड़ा हो गया और योगी आदित्यनाथ देशभर में हिंदुत्व का बड़ा चेहरा भी बन चुके थे। इसके चलते 30 प्रतिशत भाजपा का हार्ड कोर वोटर बिखरने का डर भी आड़े आता दिखा। योगी को हटाने के बाद उनका विकल्प भी केशव समेत कोई नहीं बनता दिखा। तमाम मुद्दों पर मन्थन के बाद मायावती के फार्मूले को सामने लाया गया।
सुश्री मायावती ने 2011 में एक प्रस्ताव बनाकर केन्द्र सरकार के पास भेजा था कि उत्तर प्रदेश क्षेत्रफल व जनसंख्या में बहुत बड़ा है, इसके चलते कानून व्यवस्था, विकास समेत तमाम समस्या होती है, लिहाजा इस प्रदेश को चार राज्यों में विभाजित किए जाने से उपर्युक्त मुशिकलें नहीं रहेंगी। यही फार्मूला दिखाकर केशव मौर्य को जहाँ बुंदेलखण्ड का सीएम बनाने पर विचार करने का आश्वासन मिला वहीं योगी आदित्यनाथ को पूर्वांचल देकर सीमित रखने के विचार को हाई कमान ने अपने मन में रखते हुए यह कहा कि प्रदेश विभाजन में पार्टी के हानि, लाभ समेत विभिन्न पहलुओं पर आकलन करना होगा, इसके बाद निर्णय लिया जाएगा जिसमें काफी समय लगेगा। फिलहाल यूपी में सरकार और संगठन के बीच चल रहे घमासान को रोकने के लिए फौरी तौर पर केशव मौर्य को संगठन की कमान देने और योगी को फुल पॉवर से सीएम बनाए रखने का निर्णय लिया गया। अब हाई कमान चिंतन कर रहा है कि यदि केशव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाए तो देशभर में पिछड़ा वर्ग को साधा जा सकता है या प्रदेश की बागडोर देकर पहले यूपी को मजबूत किया जाए। इस मामले में संघ के भी विचार को अहमियत दी जाएगी।