मालूम हो कि उक्त बैंक में नियोजन सहायक (कैशियर) के पद पर 2019 से राकेश कुमार पुत्र रंजीत निवासी जागृति बिहार संजय नगर गाजियाबाद थाना कविनगर तैनात था। वहीं स्थानीय थाना क्षेत्र के शिवाकर उपाध्याय पुत्र मंगलदेव निवासी नौली, कलापुर बैंकमित्र के रूप में काम कर था। दोनों मिलकर फ़र्ज़ी प्रमाण-पत्र के माध्यम से कूटरचित तरीके से अपने सगे-सम्बन्धियों और चेहतों के यहाँ खाताधारकों का पैसा ट्रांसफर कर निकाल लेते थे और आपस में बंटवारा कर लेते थे जिससे आए दिन खाताधारकों के खाते से अचानक पैसा गायब या काटने का मामला आता रहा।
इस बाबत पूछे जाने पर स्थानीय शाखा प्रबन्धक ने बताया कि उक्त दोनों से पूछताछ किया तो दोनों आनाकानी करने लगे और दिसम्बर 2022 में दोनों बैंक छोड़कर भाग गए। ऐसे में खताधारकों के शिकायत के आधार पर शाखा के 71 खाताधारकों के खाते में से दोनों मिलकर लगभग 82 लाख 56 हज़ार रुपये गबन करके आपस मे बांट लिए थे जिससे खाताधारक बहुत परेशान थे। बैंक की साख में स्थानीय स्तर पर गिरावट आने लगी।इधर दोनों के खिलाफ न्यायालय के आदेश पर स्थानीय थाना खेतासराय में कूटरचित तरीके से रुपये गबन, धोखाधड़ी समेत गम्भीर धाराओं में 30 जून को मुकदमा दर्ज हुआ है। पुलिस मामले की जाँच-पड़ताल कर रही है।
शाखा प्रबंधक की भी भूमिका संदिग्ध
पंजाब नेशनल बैंक की स्थानीय शाखा में इतने बड़े स्तर पर हुए गबन के मामले में बैंक के दो कर्मचारियों के खिलाफ न्यायालय के आदेश पर तो मुदकमा दर्ज हो गया जो स्थानीय लोगों के गले से नहीं उतर रहा है। ऐसा इसलिए कि जिसके कंधे पर बैंक का दारोमदार था, वह इस तरह के मामले से कैसे अनभिज्ञ था और इत्मा लम्बा फ्राड हो गया। लोगों में चर्चा है कि कही दोनों कर्मचारी बलि का बकरा तो नहीं बन गए। यदि ऐसा नहीं होता इतने दिनों से हो रहे गबन की शिकायत को गम्भीरता से शाखा प्रबन्धक ने क्यों नहीं लिया? यदि एक दो शिकायत मिलने पर गम्भीरता से लिया होता तो शायद इतना लंबा फ्राड होने से बच जाता लेकिन मामले में तत्परता क्यों नहीं दिखाई। यह बात लोगों को बलवती किए जा रही है और शाखा प्रबधंक पर भी शक पनप रहा है।