जौनपुर का डेहरी गांव |
डेहरी के निवासी नौशाद अहमद दुबे ने कहा कि महाकुंभ में संगम स्नान करना उनके लिए गर्व की बात है। उनका मानना है कि कुंभ भारतीय संस्कृति और सभ्यता की पहचान है। इसी तरह, अब्दुल्ला दुबे, जो विशाल भारत संस्थान से जुड़े हैं, ने बताया कि वे भी महाकुंभ में भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि उदासीन अखाड़ा द्वारा डेहरी के कुछ लोगों और संस्थान के सदस्यों को कुंभ में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा जाएगा।
भारतीय परंपराओं से जुड़ने की प्रेरणा
गांव के लोगों का मानना है कि महाकुंभ में शामिल होना समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देगा। इससे न केवल सकारात्मक संदेश जाएगा, बल्कि यह भारतीय परंपराओं से जुड़ने की प्रेरणा भी देगा।
शादी के कार्ड पर दुबे सरनेम ने खींचा ध्यान
डेहरी के नौशाद अहमद दुबे ने अपनी शादी के कार्ड पर अपना नाम “नौशाद अहमद दुबे” लिखकर सबका ध्यान खींचा था। उन्होंने बताया कि उनके पूर्वज हिंदू थे और करीब सात पीढ़ी पहले लाल बहादुर दुबे नामक उनके पूर्वज ने इस्लाम धर्म अपना लिया था। इसके बाद उन्होंने अपना नाम लाल मोहम्मद रखा।
गांव के इसरार अहमद दुबे ने कहा कि हमें अपनी जड़ों से जुड़ना चाहिए। उन्होंने बताया कि शेख, पठान, और सैयद जैसे टाइटल विदेशी शासकों द्वारा दिए गए थे। उनका मानना है कि अपने असली उपनाम को अपनाकर और जड़ों से जुड़कर हम देश को मजबूत बना सकते हैं और समाज में सौहार्द बढ़ा सकते हैं।
महाकुंभ में डेहरी के इन लोगों की भागीदारी न केवल परंपराओं से जुड़ने की मिसाल है, बल्कि यह भारतीय समाज में सांस्कृतिक एकता और आपसी सद्भाव का संदेश भी देती है।