क्या है मामला?
क्षेत्र पंचायत धर्मापुर के 44 सदस्यों में से 32 ने ब्लॉक प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे। नियमों के तहत, इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई जानी थी। हालांकि, कोर्ट ने पाया कि बाकी 12 सदस्यों को नोटिस भेजने में अनावश्यक देरी की गई, जिससे बैठक को स्थगित करना पड़ा।
खंडपीठ ने माना कि यह देरी जानबूझकर की गई, जिससे पूरी प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब हुआ। 19 मार्च को प्रस्ताव पर चर्चा के लिए बैठक तय की गई थी, लेकिन वह नहीं हो पाई। इसके बाद, 9 अप्रैल की नई तारीख तय की गई और पुनः नोटिस भेजे गए।
कोर्ट का आदेश
हाईकोर्ट ने डीएम को 15 दिनों के भीतर 10 हजार रुपये का हर्जाना मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, राज्य सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि यदि किसी अधिकारी की लापरवाही से नोटिस भेजने में देरी हुई, तो यह राशि उसकी वेतन से वसूली जा सकती है।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी, जिसमें यह देखा जाएगा कि कोर्ट के आदेश का पालन हुआ या नहीं।